अक्षय तृतीया हिंदू धर्म का एक अत्यंत पावन पर्व है, जिसे वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को श्रद्धा व भक्ति के साथ मनाया जाता है। यह दिन मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु को समर्पित होता है। मान्यता है कि इस शुभ अवसर पर विधिपूर्वक पूजा करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
कुछ लोगों में अक्षय तृतीया की तिथि को लेकर भ्रम की स्थिति है कि यह पर्व 29 अप्रैल को पड़ेगा या 30 अप्रैल को। पंचांग के अनुसार, तृतीया तिथि 29 अप्रैल को रात 11:47 बजे आरंभ होकर 30 अप्रैल को रात 9:37 बजे तक रहेगी। उदया तिथि को मानते हुए अक्षय तृतीया 30 अप्रैल 2025, बुधवार के दिन मनाई जाएगी।
30 अप्रैल 2025 को अक्षय तृतीया की पूजा का उत्तम समय सुबह 05:40 बजे से दोपहर 12:18 बजे तक रहेगा। इस दौरान पूजा करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।
इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को सत्तू, खीर, हलवा, चने की दाल, मौसमी फल और मिठाई आदि का भोग अर्पित करना शुभ माना जाता है।
• प्रातः स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें, लाल रंग का प्रयोग शुभ रहता है।
• घर के मंदिर में साफ-सफाई कर चौकी पर लाल या पीले वस्त्र बिछाएं।
• विष्णु जी व लक्ष्मी माता की प्रतिमा स्थापित करें।
• गंगाजल से स्नान कराएं और रोली, चंदन, अक्षत, फूल, धूप, दीप से पूजा करें।
• विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें और लक्ष्मी मंत्रों का जाप करें
अक्षय तृतीया को दान, पुण्य और निवेश के लिए अत्यंत शुभ दिन माना गया है। इस दिन सोना खरीदना, भूमि या संपत्ति में निवेश करना तथा जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र, धन आदि दान करना विशेष फलदायी होता है। यह दिन अक्षय पुण्य और अक्षय फल देने वाला माना जाता है।