भारत में भगवान शिव से जुड़े अनगिनत रहस्यमयी और चमत्कारी मंदिर हैं, लेकिन हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में स्थित बिजली महादेव मंदिर अपनी अनोखी परंपरा और अद्भुत घटनाओं के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध है।
यह मंदिर समुद्र तल से लगभग 2,460 मीटर (लगभग 8,000 फीट) की ऊँचाई पर स्थित है और यहां हर 12 वर्षों में एक बार आकाशीय बिजली (lightning) गिरती है। मान्यता है कि यह बिजली सीधे शिवलिंग पर गिरती है, जिससे वह खंडित हो जाता है।
इसके बाद पुजारीगण उस खंडित शिवलिंग को मक्खन और रुद्राभिषेक की विधि से पुनः स्थापित करते हैं। यह प्रक्रिया भक्तों के लिए आस्था और विस्मय का विषय है।
हाल ही में इस मंदिर से जुड़ी बड़ी खबर सामने आई कि बिजली महादेव मंदिर को अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिया गया है। मंदिर समिति ने बताया कि यह कदम संरक्षण, मरम्मत कार्य और सुरक्षा कारणों से उठाया गया है।
लंबे समय से चल रही श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या और मौसम जनित खतरों को देखते हुए यह फैसला लिया गया है, ताकि मंदिर की प्राकृतिक व ऐतिहासिक संरचना को सुरक्षित रखा जा सके।
बिजली महादेव को "जगमगाते देवता" के रूप में भी जाना जाता है। श्रद्धालु मानते हैं कि यह मंदिर न केवल आध्यात्मिक शक्ति का केंद्र है, बल्कि यहां गिरने वाली बिजली स्वयं भगवान शिव की दिव्य उपस्थिति का प्रतीक है।प्रसिद्ध कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा भी अपने प्रवचनों में इस मंदिर का उल्लेख कर चुके हैं और इसे शिव की लीला बताया है।
यह मंदिर कुल्लू शहर से करीब 3 किलोमीटर की चढ़ाई पर स्थित है, जहाँ पहुंचने के लिए ट्रैकिंग करनी पड़ती है। मंदिर से चारों ओर का दृश्य अत्यंत मनमोहक होता है — जहाँ से व्यास और पार्वती नदियों का संगम भी दिखाई देता है।