पृथ्वी एकमात्र ऐसा ग्रह है जहां जीवन संभव है। यहां वायु, जल, मिट्टी, सूर्य का प्रकाश और अनुकूल तापमान जैसे सभी जरूरी प्राकृतिक संसाधन उपलब्ध हैं। यह न केवल इंसानों के लिए, बल्कि सभी जीवों के लिए जीवनदायिनी है।
समय के साथ प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक दोहन हुआ है। अगर यही स्थिति बनी रही तो एक समय ऐसा आ सकता है जब ये संसाधन समाप्त हो जाएंगे। इन संसाधनों के बिना पृथ्वी पर जीवन की कल्पना करना कठिन हो जाएगा।
इस गंभीर स्थिति को समझते हुए, लोगों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक करने और प्राकृतिक संसाधनों को बचाने के उद्देश्य से हर साल 22 अप्रैल को 'पृथ्वी दिवस' मनाया जाता है।
हर साल 22 अप्रैल को विश्व भर में पृथ्वी दिवस मनाया जाता है। भारत समेत लगभग 195 देशों में इस दिन को विशेष रूप से मनाया जाता है।
पृथ्वी दिवस की शुरुआत वर्ष 1970 में अमेरिका के सीनेटर गेलॉर्ड नेल्सन द्वारा की गई थी। 1969 में कैलिफोर्निया के सांता बारबरा में हुए तेल रिसाव की भयावह त्रासदी ने पर्यावरण के प्रति चेतना जगाई। इसके बाद 22 अप्रैल 1970 को लगभग दो करोड़ अमेरिकियों ने पहला पृथ्वी दिवस मनाया।
हर साल पृथ्वी दिवस की एक नई थीम होती है। पृथ्वी दिवस 2025 की थीम है: "Our Power, Our Planet" (हमारी शक्ति, हमारा ब्रह्मांड)। यह थीम पर्यावरण को बचाने के लिए सामूहिक शक्ति और जिम्मेदारी पर जोर देती है।
‘अर्थ डे’ (Earth Day) शब्द को पहली बार जूलियन कोनिग ने प्रस्तावित किया था, जिनका जन्मदिन भी 22 अप्रैल को होता है। उन्होंने इस दिन को अपने जन्मदिन से जोड़ते हुए नाम दिया क्योंकि "Earth Day" और "Birthday" की ध्वनि में सामंजस्य है।