भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया संघर्ष के दौरान 'ऑपरेशन सिंदूर' की सफलता ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भारत की वायु सुरक्षा प्रणाली अब पहले से कहीं अधिक मजबूत और प्रभावी है। इस उपलब्धि का श्रेय मुख्य रूप से दो अत्याधुनिक हथियारों को जाता है — रूस से आया S-400 एयर डिफेंस सिस्टम और फ्रांस से प्राप्त राफेल लड़ाकू विमान, जिनकी खरीद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विदेशी और आंतरिक दबाव के बावजूद पूरी की थी।
भारतीय वायु सेना द्वारा 'सुदर्शन चक्र' नाम दिया गया S-400 एक शक्तिशाली एयर डिफेंस सिस्टम है जो 600 किलोमीटर तक दुश्मन के लक्ष्यों को ट्रैक कर सकता है और 400 किलोमीटर की दूरी पर उन्हें मार गिराने की क्षमता रखता है। 8-9 मई की रात पाकिस्तान द्वारा किए गए ड्रोन और मिसाइल हमलों को इस प्रणाली ने नाकाम कर दिया। जम्मू, श्रीनगर और जैसलमेर जैसे संवेदनशील क्षेत्रों पर एक भी हमला सफल नहीं हो पाया। S-400 की खरीद के समय अमेरिका ने खुलकर विरोध जताया था और भारत पर दबाव बनाया था कि वह रूस के साथ $5 बिलियन डॉलर के इस सौदे से पीछे हटे। यहां तक कि प्रतिबंध लगाने की धमकी भी दी गई थी। लेकिन मोदी सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा को सर्वोपरि मानते हुए यह फैसला लिया और अब वही फैसला भारत की रक्षा में सबसे कारगर साबित हो रहा है।
राफेल विमानों की खरीद पर भी राजनीतिक विवाद हुए। 2019 के आम चुनावों में कांग्रेस ने इस मुद्दे पर मोदी सरकार को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश की थी। राहुल गांधी ने इसे 'घोटाला' तक कहा। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने जांच के बाद इस डील को पूरी तरह वैध और पारदर्शी करार दिया। 2020 में फ्रांस से 36 राफेल विमानों की डिलीवरी शुरू हुई, जो आज भारतीय वायुसेना की ताकत को दुगुना कर चुकी है। खास बात यह है कि राफेल में लगे SCALP मिसाइल सिस्टम ने पाकिस्तान के बहावलपुर में आतंकी ठिकानों पर 100 किलोमीटर अंदर तक प्रहार किया — वो भी सीमा पार किए बिना। इस हमले में जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मौलाना मसूद अजहर का पूरा परिवार और उसका भाई अब्दुल रऊफ अजहर मारा गया, जो IC-814 हाईजैकिंग का मास्टरमाइंड था।
S-400 और राफेल की खरीद मोदी सरकार की रणनीतिक दूरदर्शिता और राजनीतिक साहस का प्रतीक है। अमेरिका, रूस और फ्रांस के बीच संतुलन बनाते हुए भारत ने अपने राष्ट्रीय हितों को सर्वोपरि रखा और वही अब पाकिस्तान के खिलाफ बड़ी बढ़त में तब्दील हो चुका है। इस संघर्ष ने साफ कर दिया है कि मजबूत सैन्य नीति और राजनीतिक इच्छाशक्ति के साथ भारत अब न सिर्फ सुरक्षा के मामले में आत्मनिर्भर बन रहा है, बल्कि जरूरत पड़ने पर दुश्मन को उसकी भाषा में जवाब भी दे सकता है।