नई दिल्ली: 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले का जवाब भारत ने बुधवार तड़के ऑपरेशन 'सिंदूर' के ज़रिए दिया। इस सटीक और दूरगामी हमले में भारतीय सेना के तीनों अंगों—थलसेना, नौसेना और वायुसेना—ने भाग लिया। यह कार्रवाई 2019 के बालाकोट हमले के बाद सबसे बड़ी सीमा पार सैन्य कार्रवाई मानी जा रही है।
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले में 26 निर्दोष लोगों की जान गई, जिनमें एक भारतीय नौसेना अधिकारी और एक नेपाली नागरिक भी शामिल थे। इस हमले के पीछे पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का हाथ माना गया। इसके बाद भारत ने सर्जिकल जवाब की रणनीति बनाई और 'ऑपरेशन सिंदूर' को अंजाम दिया।
ऑपरेशन सिंदूर में भारत ने कई अत्याधुनिक हथियारों का प्रयोग किया:
SCALP क्रूज़ मिसाइल (Storm Shadow): 250 किलोमीटर से भी अधिक रेंज वाली यह एयर-लॉन्च्ड मिसाइल दुश्मन के गहरे इलाकों में स्थित आतंकी ढांचों को तबाह करने में सक्षम है।
HAMMER बम: यह एक स्मार्ट बम है, जो किलेबंद इमारतों और बहुमंजिला ठिकानों पर सटीक वार करने में सक्षम है। इसकी मारक क्षमता 50–70 किमी तक होती है।
Loitering Munitions (कामिकाज़ी ड्रोन): यह ड्रोन टारगेट क्षेत्र के ऊपर मंडराते रहते हैं और ज़रूरत पड़ने पर आत्मघाती हमले करते हैं। साथ ही निगरानी और टारगेट आइडेंटिफिकेशन में भी इनकी अहम भूमिका रही।
कुल 9 टारगेट्स को निशाना बनाया गया, जिनमें से 4 पाकिस्तान और 5 पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POK) में स्थित थे। ये सभी ठिकाने लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और हिज़्बुल मुजाहिदीन जैसे प्रतिबंधित संगठनों के सक्रिय ऑपरेशनल सेंटर थे। कुछ प्रमुख ठिकाने:
मारकज़ सुब्हान अल्लाह, बहावलपुर: जैश का वैचारिक और संचालन मुख्यालय
मारकज़ तैयबा, मुरिदके: लश्कर का सबसे बड़ा indoctrination और लॉजिस्टिक सेंटर
मारकज़ अब्बास, कोटली: आत्मघाती हमलावरों की ट्रेनिंग का प्रमुख केंद्र
सैयदना बिलाल और शवाई नाला कैंप, मुज़फ्फराबाद: POK में सक्रिय स्लीपर सेल्स की ट्रेनिंग साइट
सरजल और तहरा कलां: जैश के प्री-इनफिल्ट्रेशन कैंप
मेहमूना जोया, सियालकोट: हिज़्बुल मुजाहिदीन का प्रशिक्षण केंद्र
ऑपरेशन सिंदूर भारत की रणनीतिक क्षमता और सटीकता का उदाहरण है। यह केवल सैन्य सफलता नहीं, बल्कि एक स्पष्ट संदेश है कि आतंकवाद के खिलाफ भारत अब हर मोर्चे पर निर्णायक कदम उठाने को तैयार है।