हरियाणा के पलवल जिले के मोहम्मदपुर गांव से ताल्लुक रखने वाले लांस नायक दिनेश कुमार (32) ने बुधवार सुबह पाकिस्तान की ओर से की गई भारी मोर्टार और आर्टिलरी फायरिंग में शहादत दी। यह हमला तब हुआ जब भारतीय सेना ने तड़के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में आतंकवादियों के ठिकानों पर जोरदार कार्रवाई की। दिनेश कुमार, जो 2014 में सेना में भर्ती हुए थे, हाल ही में लांस नायक पद पर पदोन्नत हुए थे और वर्तमान में जम्मू-कश्मीर के पुंछ जिले में तैनात थे। उनके पिता दयाराम शर्मा ने बताया कि उन्हें सुबह बेटे की शहादत की सूचना मिली। "हमें बताया गया कि दिनेश चार अन्य सैनिकों के साथ एलओसी पर गश्त कर रहे थे जब पाकिस्तान की ओर से अचानक मोर्टार फायरिंग शुरू हो गई," उन्होंने कहा।गांव के सरपंच भूपराम के अनुसार, दिनेश पांच भाइयों में सबसे बड़े थे। उनके दो छोटे भाई ‘अग्निवीर’ के रूप में सेना में सेवा दे रहे हैं। एक भाई छात्र है और एक खेती करता है। दिनेश की पत्नी सीमा एक वकील हैं और इस समय गर्भवती हैं। उनकी एक बेटी और एक बेटा है। "सेना में जाना उनका बचपन का सपना था। वो हमेशा देश की सेवा करना चाहते थे," पिता ने नम आंखों से कहा। दिनेश की अंतिम यात्रा गुरुवार को पूरे सैन्य सम्मान के साथ उनके पैतृक गांव में निकाली जाएगी। जिला प्रशासन और सेना के अधिकारी इस दौरान मौजूद रहेंगे।
दिनेश की शहादत की खबर मिलते ही पूरे मोहम्मदपुर गांव में शोक की लहर दौड़ गई, लेकिन साथ ही गांव वालों को गर्व है कि उनके बेटे ने देश के लिए प्राण न्योछावर किए। “हमारा सिर गर्व से ऊंचा है, दिनेश ने देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया है,” गांव के बुजुर्गों ने कहा। White Knight Corps ने भी ट्वीट कर दिनेश कुमार को श्रद्धांजलि दी: "हम लांस नायक दिनेश कुमार की वीरता और बलिदान को सलाम करते हैं। उन्होंने 5 फील्ड रेजिमेंट में सेवा देते हुए 7 मई को पाकिस्तान की गोलाबारी के दौरान अपनी जान दी।"
रोहतक सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने भी सोशल मीडिया पर श्रद्धांजलि देते हुए लिखा, “मैं लांस नायक दिनेश की शहादत को नमन करता हूं और दुख की इस घड़ी में उनके परिवार के साथ खड़ा हूं।” भारत की ओर से की गई जवाबी कार्रवाई—ऑपरेशन सिंदूर—के बाद पाकिस्तान ने कायरतापूर्ण तरीके से एलओसी पर सैनिकों को निशाना बनाया। यह घटना भारतीय सेना द्वारा आतंकवाद के खिलाफ लिए गए सख्त स्टैंड को दर्शाती है।
दिनेश कुमार जैसे सपूतों का बलिदान हमेशा देश की रक्षा के लिए प्रेरणा का स्रोत बना रहेगा।