नई दिल्ली — क्वांटम तकनीक के क्षेत्र में विज्ञान ने एक ऐतिहासिक छलांग लगाई है। अमेरिका की नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने 18 मील (करीब 29 किलोमीटर) दूर एक कण को टेलीपोर्ट कर विज्ञान की दुनिया में नई क्रांति की शुरुआत कर दी है। खास बात यह है कि यह टेलीपोर्टेशन किसी विशेष लैब या सिमुलेशन नेटवर्क पर नहीं, बल्कि आम पब्लिक इंटरनेट के जरिए हुआ है। इस प्रयोग के तहत एक फोटॉन—जिसे प्रकाश का मूल कण माना जाता है—को एक स्थान से दूसरे स्थान पर बिना भौतिक रूप से भेजे केवल उसकी क्वांटम जानकारी के जरिए ट्रांसफर किया गया। इसे क्वांटम एंटैंगलमेंट कहा जाता है, जो कि विज्ञान का एक रहस्यमयी लेकिन बेहद शक्तिशाली सिद्धांत है।
1997 में पहली बार वैज्ञानिकों ने प्रयोगशाला में क्वांटम टेलीपोर्टेशन कर दिखाया था, लेकिन अब पहली बार इसे आम इंटरनेट चैनल के जरिए संभव किया गया है। इसका मतलब है कि क्वांटम डेटा को भविष्य में बिना किसी अलग नेटवर्क या इंफ्रास्ट्रक्चर के मौजूदा इंटरनेट पर भेजा जा सकेगा। शोधकर्ताओं ने बताया कि यह सफलता तब मिली जब उन्होंने 400 गीगाबिट तक की सामान्य इंटरनेट क्षमता के बीच क्वांटम कण की स्थिरता बनाए रखने की तकनीक विकसित की। उन्होंने फोटॉन को इस तरह "फायर" किया कि वह न्यूनतम हस्तक्षेप के साथ अपने गंतव्य तक पहुंचे।
इस प्रयोग से क्वांटम कंप्यूटिंग के साथ-साथ क्वांटम इंटरनेट के विकास को भी नई दिशा मिली है। क्वांटम इंटरनेट, मौजूदा इंटरनेट से न केवल तेज होगा, बल्कि सुरक्षित भी। इससे बेहद जटिल गणनाएँ, तेजतर्रार AI, और अभूतपूर्व साइबर सुरक्षा संभव हो पाएगी। यह तकनीक आज के इंटरनेट और भविष्य के सुपरइंटरनेट के बीच की खाई को पाटने वाली साबित हो सकती है। अब इंटरनेट केवल मनोरंजन या सूचना का माध्यम नहीं रहेगा, बल्कि यह मानव सभ्यता की सोच और काम करने के तरीके को ही बदल देगा।
नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी की यह खोज केवल विज्ञान का चमत्कार नहीं, बल्कि तकनीक और इंटरनेट की दुनिया का भविष्य है। अब जब क्वांटम जानकारी मौजूदा इंटरनेट नेटवर्क पर भी ट्रांसफर हो सकती है, तो हमें उस दिन के लिए तैयार रहना चाहिए जब टेलीपोर्टेशन केवल विज्ञान कथा न रहकर हमारी रोज़मर्रा की ज़िंदगी का हिस्सा बन जाएगा।