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Retro Movie Review: सूर्या की नई फिल्म में रोमांस और एक्शन का मिला-जुला तड़का

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KhabriKida  @khabrikida
Created At - 2025-05-01

सूर्या की नई फिल्म ‘रेट्रो’ सिनेमाघरों में रिलीज — जानिए कैसी है यह एक्शन-ड्रामा फिल्म

01 मई, 2025 को रिलीज़ हुई सूर्या की बहुप्रतीक्षित फिल्म 'रेट्रो' ने आखिरकार सिनेमाघरों में दस्तक दे दी है। इस फिल्म का निर्देशन किया है कार्तिक सुब्बाराज ने और इसमें सूर्या के साथ पूजा हेगड़े, जोजू जॉर्ज, प्रकाश राज जैसे कलाकार नजर आ रहे हैं। फिल्म का निर्माण खुद सूर्या और ज्योतिका ने मिलकर किया है।  

कहानी की झलक:

फिल्म की कहानी शुरू होती है तिलक (जोजू जॉर्ज) से, जो एक कुख्यात तस्कर है। उसका गोद लिया हुआ बेटा पारिवेल कन्नन (सूर्या), रुक्मिणी (पूजा हेगड़े) से प्रेम करने लगता है और अपराध की दुनिया को छोड़ने का फैसला करता है। मगर कहानी में मोड़ तब आता है जब तिलक एक रहस्यमय चीज़ ‘गोल्ड फिश’ की तलाश में होता है और सिर्फ पारिवेल ही जानता है कि वह कहाँ है।

पारिवेल की जेल से भागने की घटना, किंग माइकल (विदु) की मदद और इसके पीछे की मंशा धीरे-धीरे सामने आती है। इस सफर में कई राज़ खुलते हैं, जो फिल्म की मूल भावना को दर्शाते हैं।

फिल्म की खासियतें:

  • सूर्या का अभिनय: एक बार फिर सूर्या ने अपने बहुआयामी अभिनय से दर्शकों का ध्यान खींचा है। चाहे एक्शन हो या भावनात्मक दृश्य, उन्होंने अपने किरदार में पूरी जान डाल दी है।
  • संगीत का जादू: संगीत निर्देशक संतोष नारायणन का संगीत फिल्म की जान है। खासकर "कन्नम्मा" गाने से पहले और बाद में दिखाया गया सिंगल-शॉट सीन दर्शकों को प्रभावित करता है।
  • प्रस्तुति: फिल्म की सिनेमैटोग्राफी और प्रोडक्शन वैल्यू शानदार है। श्रेयस कृष्णा की सिनेमैटोग्राफी में कुछ दृश्य बहुत ही प्रभावशाली हैं।

कमज़ोर कड़ियाँ:

  • कहानी में स्पष्टता की कमी: फिल्म एक प्रेम कहानी से शुरू होकर धीरे-धीरे अपराध और रहस्य की ओर मुड़ती है, जिससे दर्शकों के लिए फिल्म की दिशा समझना कठिन हो जाता है।
  • दूसरा भाग कमजोर: इंटरवल के बाद फिल्म की पकड़ ढीली पड़ जाती है और घटनाएँ बिखरी-बिखरी सी लगती हैं।
  • किरदारों की कमी: कई दमदार कलाकारों जैसे जयाराम, नासर और प्रकाश राज को फिल्म में भरपूर मौके नहीं दिए गए, जो निराशाजनक है।

तकनीकी पक्ष:

निर्देशक कार्तिक सुब्बाराज का प्रयास एक अलग शैली की फिल्म बनाने का था, लेकिन पटकथा की कमजोरी और संपादन की ढीलापन फिल्म पर भारी पड़ता है। कुछ दृश्य अनावश्यक रूप से लंबे हैं, जिससे गति प्रभावित होती है।

निष्कर्ष:

‘रेट्रो’ एक ऐसी फिल्म है जो कुछ हिस्सों में प्रभावित करती है, लेकिन समग्र रूप से दर्शकों को बांधे रखने में चूक जाती है। सूर्या की परफॉर्मेंस और बैकग्राउंड म्यूजिक इसकी मुख्य ताकतें हैं, लेकिन कमजोर पटकथा और दिशा फिल्म की सबसे बड़ी कमज़ोरी है। यदि आप सूर्या के फैन हैं, तो एक बार देख सकते हैं — लेकिन उम्मीदें ज़्यादा न रखें।

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