पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने बुधवार को सियालकोट के पसरूर मिलिट्री बेस का दौरा किया। यह वही आर्मी छावनी है, जो 10 मई को हुए हमले में चर्चा में आई थी, जब भारत की सेना ने इसके रडार सिस्टम को निशाना बनाया था। दौरे के दौरान शरीफ ने सैन्य टैंक पर चढ़कर जवानों को संबोधित किया और कहा कि वे सेवानिवृत्ति के बाद एक पुस्तक लिखेंगे, जिसमें सेना की बहादुरी का ज़िक्र करेंगे।
इस मौके पर शहबाज शरीफ अपने पूरे भाषण और बॉडी लैंग्वेज में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शैली अपनाते दिखे। उनकी यह कोशिश मीडिया और राजनीतिक विश्लेषकों की नजरों से बच नहीं पाई। हालांकि ज़मीनी हकीकत बिल्कुल अलग थी—ऑपरेशन सिंदूर ने पाकिस्तान को काफी नुकसान पहुंचाया है, जिसकी पाकिस्तान सरकार ने अभी तक आधिकारिक पुष्टि नहीं की है।
शरीफ के साथ पाकिस्तान आर्मी चीफ जनरल असीम मुनीर, एयरफोर्स प्रमुख और रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ सहित अन्य उच्च सैन्य अधिकारी भी मौजूद थे। प्रधानमंत्री ने सेना के साहस, अनुशासन और "कुर्बानी की भावना" की खुलकर सराहना की।
अपने संबोधन में शरीफ ने कहा कि पाक सेना ने ऐसे वक्त में भी अदम्य साहस दिखाया, जब सामने दुश्मन कहीं अधिक शक्तिशाली था। उन्होंने यह भी जोड़ा कि वह रिटायरमेंट के बाद एक किताब लिखेंगे जिसमें सैनिकों के ‘शौर्य’ का ज़िक्र होगा।
इसके अलावा उन्होंने भारत को चेतावनी भरे लहजे में कहा, “अगर भारत ने पानी रोकने की कोशिश की तो वह पाकिस्तान की रेड लाइन होगी। खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते।”