भारत सरकार ने कीमती धातुओं जैसे सोना (Gold), चांदी (Silver) और प्लेटिनम (Platinum) के आयात पर नियंत्रण बढ़ाने के लिए नए और सख्त नियम लागू कर दिए हैं। इन नए दिशा-निर्देशों के लागू होने के बाद, अब विदेश से इन धातुओं को मंगवाना पहले की तुलना में कहीं ज्यादा कठिन हो गया है।
सरकार ने इन नियमों को लागू करने के पीछे तीन प्रमुख कारण बताए हैं:
दुरुपयोग (Misuse) पर रोक लगाना – पहले कुछ संस्थाएं और कंपनियाँ नियमों का फायदा उठाकर इन धातुओं का आयात अनुचित तरीके से कर रही थीं। इससे न केवल देश को राजस्व की हानि हो रही थी बल्कि आर्थिक अनियमितताएं भी बढ़ रही थीं।
HS कोड का मानकीकरण (Harmonization of HS Code) – आयात की प्रक्रिया में इस्तेमाल होने वाले "Harmonized System Codes" को एकरूप और सुसंगत बनाना, ताकि किसी तरह की तकनीकी गड़बड़ी या हेराफेरी न हो सके।
आयात प्रक्रिया में पारदर्शिता (Transparency in Import Process) – अब सरकार चाहती है कि सोना-चांदी और प्लेटिनम जैसी कीमती वस्तुओं के आयात में पूरी पारदर्शिता रहे और केवल अधिकृत एजेंसियां ही इसमें भाग लें।
नई नीति के अनुसार, अब केवल वही संस्थाएं या एजेंसियां विदेश से सोना, चांदी या प्लेटिनम आयात कर सकेंगी:
जिन्हें भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) से आयात की अनुमति प्राप्त है।
जो विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) से पंजीकृत और अधिकृत हैं।
या जिन्हें IFSCA (International Financial Services Centres Authority) से मान्यता प्राप्त है।
इसका मतलब है कि अब कोई भी आम व्यापारी या संस्था बिना मंजूरी के इन धातुओं को विदेश से नहीं मंगवा सकेगी।
इन नियमों के लागू होने के तुरंत बाद घरेलू बाजार में सोने और चांदी की कीमतों में तेजी देखने को मिली है। इसकी मुख्य वजह है कि:
आयात सीमित हो गया है।
मांग बनी हुई है लेकिन आपूर्ति पर अंकुश लग गया है।
जिसके कारण डिमांड-सप्लाई गैप बढ़ा है और कीमतें ऊपर चली गई हैं।