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Sundar Pichai: IIT खड़गपुर से सफर शुरू कर बना ग्लोबल टेक लीडर, जानिए सुंदर पिचाई की प्रेरक कहानी

Jyoti
Jyoti  @jy0384748
Created At - 2025-03-15

सुंदर पिचाई: साधारण शुरुआत से गूगल के सीईओ बनने तक का सफर

जब भी इंजीनियरिंग की पढ़ाई का ज़िक्र होता है, तो सबसे पहले आईआईटी (IIT) का नाम सामने आता है। यह संस्थान हर छात्र के लिए एक बड़े सपने की तरह होता है, जहां से पढ़कर कई लोगों ने ऊंचे मुकाम हासिल किए हैं। आज हम ऐसे ही एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व की कहानी जानेंगे, जिन्होंने अपनी मेहनत और प्रतिभा से दुनिया की सबसे बड़ी टेक कंपनियों में से एक गूगल और अल्फाबेट के सीईओ का पद हासिल किया—सुंदर पिचाई।

सुंदर पिचाई का प्रारंभिक जीवन

आज सुंदर पिचाई एक प्रसिद्ध नाम हैं, लेकिन उनके शुरुआती जीवन के बारे में कम ही लोग जानते हैं। उनका जन्म 12 जुलाई 1972 को तमिलनाडु के मदुरै शहर में हुआ था। वे एक साधारण मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उनके पिता इलेक्ट्रिकल इंजीनियर थे और उनकी माँ स्टेनोग्राफर थीं।

शिक्षा और शुरुआती सफर

सुंदर पिचाई ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा चेन्नई के जवाहर विद्यालय से प्राप्त की और उसके बाद उन्होंने वना वाणी स्कूल से 12वीं की पढ़ाई पूरी की। उनकी गणित और विज्ञान में गहरी रुचि थी, जिसके चलते उन्होंने आईआईटी खड़गपुर (IIT Kharagpur) में प्रवेश लिया। यहां से उन्होंने मेटलर्जिकल इंजीनियरिंग में बी.टेक की डिग्री हासिल की।

उच्च शिक्षा के लिए, उन्होंने स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी का चयन किया, जहां से उन्होंने मैटेरियल साइंस और इंजीनियरिंग में एमएस (MS) किया। इसके बाद, उन्होंने पेंसिल्वेनिया विश्वविद्यालय के व्हार्टन स्कूल से एमबीए (MBA) की डिग्री प्राप्त की।

गूगल में करियर और सीईओ तक का सफर

सुंदर पिचाई ने अपने करियर की शुरुआत बतौर प्रोडक्ट मैनेजर की थी, लेकिन उनकी इनोवेटिव सोच और मेहनत ने उन्हें गूगल के शीर्ष पद तक पहुंचा दिया। उन्होंने गूगल क्रोम, गूगल ड्राइव, जीमेल और एंड्रॉइड जैसी कई महत्वपूर्ण सेवाओं के विकास में अहम भूमिका निभाई।

2015 में, उन्हें गूगल का सीईओ नियुक्त किया गया, और 2019 में वे अल्फाबेट (गूगल की पैरेंट कंपनी) के भी सीईओ बन गए।

प्रेरणादायक सफर

सुंदर पिचाई की सफलता की कहानी हर उस युवा के लिए प्रेरणादायक है, जो बड़े सपने देखने और उन्हें साकार करने का हौसला रखता है। उनकी मेहनत, लगन और दूरदृष्टि ने यह साबित कर दिया कि एक साधारण पृष्ठभूमि से आने वाला व्यक्ति भी दुनिया की सबसे बड़ी टेक कंपनियों में शीर्ष पद तक पहुंच सकता है।

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