दुनिया की दो सबसे प्रभावशाली शख्सियतों—अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और टेस्ला व स्पेसएक्स के मालिक एलॉन मस्क—के बीच हाल ही में चल रहा विवाद अचानक थमता दिख रहा है। जो पहले खुली बयानबाज़ी और राजनीतिक धमकियों तक पहुंच गया था, अब अचानक शांत होता दिख रहा है। सवाल ये है कि इस सियासी सुलह के पीछे की सच्चाई क्या है?
एलॉन मस्क इतने नाराज़ हो गए थे कि उन्होंने ट्रंप के खिलाफ खुद की राजनीतिक पार्टी खड़ी करने की बात तक कह दी थी। यह बयान तब आया जब ट्रंप ने मस्क को चेताया कि अगर वह डेमोक्रेट्स को फंडिंग देना जारी रखते हैं, तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है।
मस्क की कंपनियों में लगे निवेशकों में खलबली मच गई थी। उन्हें डर था कि ट्रंप से बिगड़ते रिश्ते का असर टेस्ला, स्पेसएक्स और X (पूर्व ट्विटर) के बिज़नेस पर पड़ सकता है। इसके बाद मस्क के सलाहकार जेम्स फिशबैक और अन्य लोगों ने उन्हें सलाह दी कि वे इस विवाद को शांत करें।
सूत्रों की मानें तो व्हाइट हाउस और ट्रंप टीम दोनों ने मस्क से संपर्क साधा। उन्हें बताया गया कि मस्क की सार्वजनिक टिप्पणियां ट्रंप के समर्थकों में नाराज़गी पैदा कर रही हैं और यह भविष्य की राजनीतिक रणनीति पर असर डाल सकती है। वहीं ट्रंप ने भी संकेत दिए कि अगर मस्क सही दिशा में चलते हैं तो भविष्य में उनके लिए रास्ते खुले हो सकते हैं।
मस्क ने X (एक्स) पर पोस्ट करते हुए लिखा, “पिछले हफ्ते राष्ट्रपति ट्रंप को लेकर मेरे कुछ बयान शायद ज़रूरत से ज्यादा तीखे थे।” इस बयान को राजनीतिक नरमी के संकेत के रूप में देखा गया। ट्रंप ने भी जवाब में कहा, "Very nice", जो यह दर्शाता है कि वे अब संबंध सुधारने को तैयार हैं।
सूत्रों के अनुसार, ट्रंप ने मस्क से साफ कहा था कि वे डेमोक्रेटिक पार्टी, विशेषकर बाइडेन समर्थकों को कोई राजनीतिक आर्थिक समर्थन न दें। मस्क की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है कि वे डेमोक्रेट्स को फंडिंग देंगे या नहीं, लेकिन उनके नरम तेवरों से संकेत मिल रहा है कि उन्होंने फिलहाल दूरी बना ली है।
इस पूरे घटनाक्रम में यह साफ झलकता है कि अमेरिका की राजनीति में पूंजीपतियों की भूमिका कितनी गहरी है। एलॉन मस्क जैसे शक्तिशाली बिजनेस टायकून भी तब नरमी बरतते हैं जब उनके व्यवसायिक हित या राजनीतिक कनेक्शन प्रभावित होने लगते हैं।
ट्रंप की धमकियाँ, मस्क के यू-टर्न और निवेशकों का दबाव – यह सब एक गहरी रणनीति का हिस्सा हो सकता है, जिसमें दोनों पक्षों को सार्वजनिक रूप से शांति दिखानी जरूरी हो गई थी।